वाराणसी: मानव जीवन का मूल उद्देश्य ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना है क्योकि विकास का मार्ग ब्रह्मज्ञान से ही आरम्भ होता है। आज समस्त संसार आत्मिक विकास में पिछड़ा हुआ है। जिसका मूल कारण ब्रह्मज्ञान का न होना है। ब्रह्मज्ञान जीवन की सच्चाई है। इससे हमे पता चलता है कि मैं कौन हूँ, कहां से आया हूँ, और इस संसार में जीवन जीने के बाद कहा जाना है इस सच्चाई को जाने बिना संसार में प्यार और मानवता की बात करना कोरे कागज के समान है। जब यह सच्चाई हमारे जीवन में आ जाती है तो हम संसार से बिना शर्तों के प्यार करना शुरू कर देते है। यही प्यार वास्तव में हमारे अन्तर्मन को सुकून देता है।
उक्त उद्गार संत निरंकारी सत्संग भवन मलदहिया पर आयोजित जोन स्तरीय समागम में दिल्ली से पधारे केन्द्रीय प्रचारक नरेश लूथरा ने व्यक्त किया। उन्होने कहा की आज शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। हम अपने बच्चों को शिक्षा में पीछे न रहने दे। उन्हे हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी का भी ज्ञान जरूर दें। जिससे वे अपने आप को कही भी कमजोर न समझें क्योकि आज की मूलभूत जरूरत हिन्दी व अंग्रेजी दोनो के ज्ञान की है।
आगे उन्होने बताया कि आज सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज पूरे विश्व के कोने कोने में जाकर इस ब्रह्मज्ञान रूपी सच्चाई से सभी को अवगत कराकर सेवा सिमरन सत्संग रूपी साधन के द्वारा जीवन को सरल एवं उत्तम बनाने का प्रयास भी कर रही हैं। वाराणसी जोन के अन्तर्गत चन्दौली गाजीपुर मिर्जापुर सोनभद्र आदि जिलों से आयी हुयी संगतों का आभार वाराणसी जोन के जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह जी ने व्यक्त किया। समागम की सारी व्यवस्था सेवादल के अधिकारियों के देख-रेख में सेवादल सदस्यों द्वारा बखूबी किया गया।
मानवता प्यार और सच्चाई के समावेश से ही प्राप्त होगा सुकून अन्तर्मन का प्यार की भाषा ही संसार की सर्वोत्तम भाषा है
Related Posts
Add A Comment

