वाराणसी: वाराणसी में अपनी लाजवाब लोकगायिकी के कारण आम से लेकर खास लोगों तक चर्चा का विषय बनीं अनेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं पर आन लाइन पटल पर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोकगायिका डॉ शिवा मिश्रा लोकगीत शिरोमणि तथा ‘साहित्य साधक ‘जैसे अनेक सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं।
डॉ० शिवा मिश्रा पेशे से शिक्षिका व पूर्व प्रधानाचार्या होते हुए भी अपने कर्तव्यों का भली भांति पालन करते हुए समाज की युवा पीढ़ी खास कर लड़कियों को अपनी पारम्परिक संस्कृति और संस्कारों से जुड़ी रश्मोंरिवाज़ के अवसर पर गाये जाने वाली लोकगीत बन्नी बन्ना तिलक मुंडन विदाई सोहर और कजरी गीत गा गा कर प्रेरणा की अलख जगा रहीं हैं।बिना किसी साजो सामान और कुछ भी ताम झाम किए सीधी सादी सरल आम बोलचाल और भाषा में लोकगायिका डॉ०शिवा मिश्रा अपने लोकगीत प्रस्तुत करतीं हैं और इसी वजह से लोगों के दिलों में जगह बना रहीं हैं। यह अपने अधिकांश मौलिक गीतों और मोहक भाव भंगिमाओं से सब को मंत्र मुग्ध कर लेने में महारत हासिल कर चुकी हैं।
लोकगायिका डॉ०शिवा मिश्रा को मिला लोकगीत शिरोमणि व साहित्य साधक सम्मान
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