श्रीअग्रसेन कन्या पी. जी. कॉलेज, वाराणसी के परमानंदपुर परिसर में हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत एक सप्ताह से निरंतर मनाए जा रहे हिन्दी सप्ताह के समापन समारोह में 'हिंदी का जाति स्वरूप' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं श्री अग्रसेन महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया | इसके बाद संगीत विभाग की छात्राओं ने मां सरस्वती की वंदना की तथा स्वागत गीत गाया | तत्पश्चात् अतिथियों को माला पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया एवं मंचासीन विद्वज्जनों का भी माला पहनाकर सम्मान किया गया| प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने स्वागत वक्तव्य देते हुए भारतेंदु हरिश्चंद्र का स्मरण किया और उनके दोहे " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल | बिनु निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल ||" को उद्धृत किया | प्रबंधक डॉ. मधु अग्रवाल ने अपने आशीर्वचनों से सभी को अभिसिंचित किया तथा छात्राओं को हिन्दी भाषा के प्रति जागरूक किया। विषय प्रवर्तन करते हुए हिन्दी विभाग की प्रभारी अध्यक्ष डॉ. सुमन सिंह ने हिन्दी के जातीय स्वरूप और हिन्दी भाषा की यात्रा के विषय में बताया तथा उन्होंने अपने वक्तव्य का समापन कवि डॉ. राहुल अवस्थी की कविता की पंक्ति 'हिन्दी है मेरा नाम, मैं हूँ हिन्द की बोली' से किया । मुख्य वक्ता डॉ. विंध्याचल यादव, सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने हिन्दी के जातीय स्वरूप पर बात करते हुए कहा कि भाषा के जातीय स्वरूप का अर्थ यह है कि हर भाषा की अपनी संस्कृति और अपना समाज होता है | हमारी जीवन पद्धति, आचार विचार, तीज त्योहार, गीत गवनई सब कुछ संस्कृति का हिस्सा हैं | उन्होंने कहा कि जब हम हिन्दी के जातीय स्वरूप की बात करते हैं तो उससे हिन्दी प्रदेशों की संस्कृति का बोध होता है | हिन्दी भाषी प्रांतों को डॉ. रामविलास शर्मा ने 'हिन्दी प्रदेश' कहा उन्होंने कहा कि हिन्दी सदैव से विद्रोह की भाषा रही है | कविवर निराला ने गद्य को जीवन संग्राम की भाषा कहा है , उनका अभिप्राय हिन्दी गद्य से ही था | हिन्दी भाषा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की आवाज रही है | उन्होंने बताया कि सरलता हिन्दी की बुनियादी विशेषता है, इसलिए तत्समबहुलता और तद्भवबहुलता के झगड़े में हिन्दी ने तद्भव बहुलता को अपनाया और अपने सहज सरल रूप में स्थापित हो गयी |
विशिष्ट अतिथि आर. जे. नेहा ने कहा कि रेडियो का काम केवल मनोरंजन करना नहीं होता बल्कि लोगों को जागरूक करना भी होता है | रेडियो के क्षेत्र से जुड़े लोग जमीनी स्तर से जुड़कर कार्य करते हैं | उन्होंने छात्राओं को रेडियो के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं से अवगत कराया और उनके प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर भी दिया | छात्राओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत की गई।कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रिया भारतीय, सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग ने किया | धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका एवं पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अर्चना सिंह ने दिया |
महाविद्यालय में मिर्ची हीरो हंट के तहत रेडियो मिर्ची के द्वारा ‘अनलेस योर इंक्रेडिबल टैलेंट’ नामक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें अनेक छात्राओं ने प्रतिभाग किया।इस प्रतियोगिता में नेहा कुमारी, खुशी सिंह, ज्योति पटेल, नेहा सेठ और ईशा नागर छात्राएं प्रतियोगिता के अग्रिम चरण के लिए चयनित भी हुई।
कार्यक्रम में प्रो अनीता सिंह, प्रो कुमुद सिंह, डॉ आकृति मिश्रा, डॉ अपर्णा शुक्ला, डॉ. प्रतिभा तिवारी, डॉ. पूनम श्रीवास्तव, श्रीमती मेनका सिंह, डॉ सरला सिंह, डॉ नंदिनी पटेल, डॉ बंदिनी,डॉ. अर्चना सिंह,डॉ. मंजरी श्रीवास्तव, डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव, डॉ. सीमा अस्थाना, डॉ. श्वेता सिंह, डॉ. उषा चौधरी, डॉ. वेणु वनिता,डॉ. धनंजय,डॉ. शुभा वर्मा इत्यादि अनेक प्रवक्तागण तथा छात्राएं उपस्थित रही।