Varanasi: श्री अग्रसेन कन्या पी. जी.कॉलेज, वाराणसी में समाजशास्त्र एवम् मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व आत्महत्या निवारण दिवस के अवसर पर ‘जीने का नजरिया बदलिए, इंतजार में है सुनहरा भविष्य ‘नामक”विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन एवम् अतिथियों के स्वागत से हुआ। प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने अभ्यागतों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह प्रदान करके किया। कार्यक्रम की विषय स्थापना करते हुए प्रो कुमुद सिंह ने कहा कि आज आत्महत्या एक गंभीर विषय बन चुका है और इसके निवारण के लिए सामाजिक समरसता और परस्पर सहयोग अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने कहा कि प्रत्येक वर्ष विश्व में लाखों लोग किसी न किसी कारण से आत्महत्या करते हैं। वर्तमान परिदृश्य में भारत में भी इसकी संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है । इसी समस्या पर चिंतन करने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या निवारण दिवस मनाया जाता है। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. मीनाक्षी बाजपेई ,मनोविज्ञान विभाग, आर्य महिला पी. जी. कॉलेज , वाराणसी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व आत्महत्या निवारण दिवस आत्महत्या के प्रति जागरूकता का दिवस है क्योंकि आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने व्यक्ति में आत्महत्या संबंधी लक्षणों एवं उसको रोकने के उपायों की भी चर्चा की। कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता डॉ मिथिलेश सिंह ,असिस्टेंट प्रोफेसर ,समाजशास्त्र विभाग ,सावित्री बाई फुले राजकीय महिला पी. जी .कालेज , चकिया ने आत्महत्या के प्रमुख प्रमुख कारणो पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रो आभा सक्सेना एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ आराधना श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर अनेक प्रवक्तागण एवं छात्राएं उपस्थित रही।
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