वाराणसी:पड़ोसी राज्य बिहार में लगातार पुल गिरने की घटना ने मिर्जापुर के लोगों में एक डर बना दिया है। यह डर वाजिब भी है क्योंकि शास्त्री पुल ओवरलोडेड ट्रक और मालवाहक वाहनों के कारण बहुत ही कमजोर हो गया है। जगह-जगह बनें गड्डे किसी बड़े हादसे का अंदेशा पैदा कर रहे हैं। शास्त्री पुल जनपद मिर्जापुर की रीढ़ है यहाँ से जौनपुर, बनारस, भदोही, गोपीगंज, इलाहाबाद, सोनभद्र और बनारस बेहतरीन कनेक्टिविटी के साथ जुड़े हैं। परंतु इस पुल पर बढ़ा पुल को जर्जर बना दिया है। हाल ही में पुल का फुटपाथ का एक हिस्सा टूट गया था और पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर आने जाने पर रोक लगायी थी, लेकिन स्थानीय लोगों के सुगमता के लिए पुल को खोलना पड़ा। अब मरम्मत के बाद यह पुरी तरह फिर शुरू हो गया है।
जरा सोचिये जिस तरह से बिहार में लगातार् पुल गिर रहे हैं, तब शास्त्री पुल की दशा और भारी वाहनों के कारण इसकी वर्तमान स्थिति में चलने वालों को भय तो लगेगा। प्रशासन के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि ओवरलोडेड वाहनों को इस पुल पर जाने से रोक सके।
यदि प्रशासन पहले से ही सतर्क रहता और ऊंचा बैरियर लगाकर ओवरलोडेड वाहनों को रोकता तो इस पुल की आयु बढ़ जाती। यह पुल 1976 में बना था, करीब 50 वर्षों की उम्र वाले इस पुल की अब तक तीन बार मरम्मत हो चुकी है। इस पुल का इतिहास भी टुकड़ो-टुकड़ों में बनने का है तो इसकी मजबूती पर भी बात होनी चाहिए।
पुल पर बने गड्ढे सामान्य दिन में तो खतरा हैं ही, बारिश के समय जब इन गड्डों में पानी भर जाता है तो यह और अधिक खतरनाक हो जाते हैं। विशेष रूप से पैदल चलने वालों और दोपहिया वाहन के लिए तो यह जानलेवा हो जाता है। प्रशासन को भारी वाहनों के आवाजाही के सम्बन्ध में विचार करना चाहिए और तत्काल एक ऊँचा बैरियर लगा कर पुल पर जाने से रोकने की व्यवस्था करनी चाहिए। ओवरलोडेड और भारी वाहनों को एनएच 19 ( पूर्व में एनएच-2) को मोड़ने से इस पुल पर दबाव कम होगा। कुछ लोगों को यह लगता है की किसी साजिश के तहत रोकने का प्रयास हो रहा है लेकिन यह बातें इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि शास्त्री पुल मिर्जापुर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और आम लोगों के लिए यह जरुरी भी है। यदि हम सब सचेत नहीं होंगे और हर रोज लापरवाही करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब कोई बड़ा हादसा होगा और लोग इस पर राजनीति करेंगे।
इस पुल पर सामान्य ट्रैफिक नियमों तक का पालन तक नहीं होता और तो और रात में भारी और ओवरलोडेड वाहन बेरोकटोक आते जाते हैं। स्थानीय व्यापारी बंधुओं और निवासियों को इस बारे में सचेत होने की जरुरत है, प्रशासन की लापरवाही से स्थानीय लोग ही नुकसान उठाएंगे। जिस तरह बिहार में पुल के गिरने की स्थिति है वह उत्तर प्रदेश में भी दोहरायी ना जाये इसके लिए शासन-प्रशासन को सतर्क रहने की जरुरत है।
उत्तर प्रदेश में पुल गिरने का कोई बड़ा हादसा ना हो, प्रशासन को रहना चाहिए सचेत
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