ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के द्वारा ज्योतिषशास्त्र, धर्मशास्त्र एवं सनातन परम्परानुगामी समाज के धर्ममूलक स्वरूप को संरक्षित करने के साथ साथ काशी से प्रकाशित होने वाले पंचाङ्गो के व्रत पर्वों में धर्मशास्त्रीय आधार से एकरूपता स्थापित करने हेतु “काशीस्थ पंचांगों में व्रत – पर्व आदि की एकरूपता “ विषयक प्रयास की शुक्रवार को दिवा 2 बजे से ज्योतिष विभाग में द्वितीय बैठक प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें काशी से प्रकाशित होने बाले विभिन्न पंचांगों के संपादक, ज्योतिष शास्त्र के प्रतिष्ठित आचार्य गण एवं धर्मशास्त्र के विशिष्ट विद्वान उपस्थित रहे। स्वागत भाषण एवं विषय उपस्थापन करते हुए पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय (समन्वयक-विश्वपंचांग) जी ने कहा कि विगत वर्षों में काशी से प्रकाशित होने बाले पंचांगों में व्रत पर्वों में अंतर बढ़ता जा रहा है जिससे समाज में भ्रम एवं ज्योतिष के प्रति अनास्था एवं अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इसीलिए उन में समरूपता स्थापित करने के लिए इस इस बैठक को पुनः आहूत किया गया है। बैठक में काशी से प्रकाशित होने वाले सभी मुख्य पंचांगों के संपादक गण उपस्थित रहे। जिसमें संवत 2082 में प्रकाशित होने वाले पंचांग के व्रत पर्वों के ऊपर विस्तृत चर्चा हुई और मुख्य रूप से
वसंतिक नवरात्र में महानिशा पूजा, मेष संक्रांति का पुण्यकाल, परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया, गंगासप्तमी, सीता नवमी, जन्माष्टमी, कुशोत्पतिनी अमावस्या, मकर संक्रांति का पुण्यकाल, आषाढ़ कृष्ण एकादशी, तथा ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के संदर्भ में विस्तृत चर्चा हुई और इन पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। 2025 की होली एवं विजयदशमी में कुछ प्रमाण वचनों के अभाव में निर्णय को अग्रिम बैठक के लिए स्थगित किया गया। इसके अतिरिक्त संवत 2082 के अन्य व्रत पर्वों में कोई विभेद नहीं है।
बैठक मैं गणेश आपा पंचांग के संपादक हृषिकेश पंचांग के संपादक विशाल उपाध्याय एवं शिव मूर्ति उपाध्याय, महावीर पंचांग के संपादक डॉ रामेश्वर ओझा, अन्नपूर्णा पंचांग के संपादक डॉ श्रीकांत तिवारी, शिव गोविंद पंचांग के संपादक सदानंद, पञ्चांग गणित कर्ता अमित मिश्रा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित विश्व पंचांग के संपादक प्रोफेसर गिरजा शंकर शास्त्री, धर्मशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो शंकर कुमार मिश्र, काशी विद्वत् परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी, ज्योतिष विभाग के
प्रो. रामजीवन मिश्र, डा. सुशील कुमार गुप्ता, डा. रामेश्वर शर्मा, विश्व पंचांग के सह संपादक, डा. अजय कुमार पाण्डेय, डा. मोहन कुमार शुक्ल, डा. सुनील कुमार चतुर्वेदी, सहित अनेक छात्रगण सम्मिलित हुए | बैठक के सभी निर्णय प्रो रामचंद्र पाण्डेय की अध्यक्षता एवं मार्गदर्शन में लिए गए।