वाराणसी। प्रदेश में अशासकीय कॉलेजों को संचालित करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियमावली बनी हुई है परंतु इसके खिलाफ आए दिन उत्तर प्रदेश में अशासकीय कॉलेजों में स्ववित्तपोषित अध्यापकों के अधिकारों का हनन आए दिन देखने को मिल रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही गाजियाबाद एवं ललितपुर में प्रबंध समिति द्वारा किए गए कार्रवाई को गलत ठहराया गया था और यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था तभी वाराणसी के हरिशचंद्र पीजी कॉलेज में स्ववित्तपोषित योजना अंतर्गत नियुक्त शिक्षक के उत्पीड़न का मामला संज्ञान में आ गया।
आपको बताते चले कि हरिशचंद्र पीजी कॉलेज वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध है और कॉलेज में समाजशास्त्र विभाग स्ववित्तपोषित योजना अंतर्गत संचालित है। इसी विभाग में डॉक्टर आशुतोष पांडेय (असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र) कार्यरत हैं। विगत दिनों डॉक्टर पांडेय के ऊपर कॉलेज प्रशासन द्वारा एवं प्राचार्य प्रोफेसर रजनीश कुंवर द्वारा जबरदस्ती कार्य का बोझ देकर उत्पीड़न किया जाता था एवं समाजशास्त्र प्रभारी प्रोफेसर विश्वनाथ वर्मा जो कि इस कॉलेज में उप प्राचार्य हरिशचंद्र पीजी कॉलेज में पदस्थ हैं। इनके द्वारा भी जातिगत टीका टिप्पणी एवं मानसिक उत्पीड़न किया जाता था। डॉक्टर आशुतोष पांडेय ने जब इसका विरोध किया तो कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर रजनीश कुंवर ने डॉक्टर पांडे को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए रसायन विज्ञान विभाग से संबद्ध कर दिया। परंतु जब उच्च शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह नियमावली बनी हुई है कि किसी को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का अधिकार संबद्ध महाविद्यालय के विश्वविद्यालय के कुलपति के द्वारा किया जाता है। परंतु किस आधार पर यह निलंबन किया एवं कुलपति के अधिकारों का हनन किया यह समझ से परे है।
सूत्रों से पता चला कि यहां पर अध्यापन करा रहे अध्यापकों की जो कि (स्ववित्तपोषित योजना अंतर्गत) आते हैं उनकी वेतमान भी भिन्न-भिन्न है। एक तरफ देश एवं प्रदेश की सरकार गुंडों एवं माफियाओं के खिलाफ शख्ती से पेश आ रही है तो इन सभी शिक्षा माफियाओं पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किस तरीके से नकेल कसती है यह देखना रुचिकर होगा।