संस्कृत के सर्वविध संरक्षण व सम्वर्धन के साथ- साथ भारतीय शास्त्रों में निहित ज्ञान-विज्ञान की महत्ता को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिये मिल कर कार्य योजना बनाने पर विचार – कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा
संस्कृत के सम्वर्धन एवं शास्त्रों में सन्निहित ज्ञान को समाज तक पहुंचाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के महत्व पर जोर— कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी
नई दिल्ली/ वाराणसी: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर बिहारीलाल शर्मा ने संस्कृत को एक आम भाषा के रूप में बढ़ावा देने और इसे वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेस श्रीनिवास वरखेड़ी से मुलाकात की।
संस्कृत को आमज़न की भाषा बनाने की पहल—
बैठक में संस्कृत को आम जनता, खासकर युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाने और भारतीय संस्कृति और विरासत में इसके महत्व को उजागर करने की रणनीतियों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया गया। कुलपतियों ने संस्कृत भाषा के पाठ्यक्रम विकसित करने, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने और संस्कृत अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए सहयोगी पहलों पर चर्चा की।
संस्कृत को छात्रों के लिए सुलभ बनाने का यत्न—
प्रोफेसर शर्मा ने संस्कृत भाषा शिक्षण विधियों को सरल बनाने और छात्रों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए आधुनिक संसाधनों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के महत्व पर जोर दिया, जैसे कि मोबाइल ऐप और ऑनलाइन पाठ्यक्रम विकसित करना।
संस्कृत के अभ्युदय एवं उत्थान के लिये मिलकर काम करेंगे—
बैठक का समापन संस्कृत को एक व्यावहारिक भाषा के रूप में इसकी पुनः स्थापना करने और बढ़ावा देने तथा इसे भारत की सांस्कृतिक पहचान के अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ।
कुलपति प्रो शर्मा का पारम्परिक स्वागत और अभिनंदन—
मुलाकात के दौरान केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने पारम्परिक रूप से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा का माला,
अंगवस्त्र(शाल),हिमाचली की टोपी पहनाकर स्वागत और अभिनंदन किया।