अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र, बीएचयू, वाराणसी द्वारा यूनेस्को एमजीआईईपी, नई दिल्ली, और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम, नई दिल्ली के सहयोग से शिक्षकों के लिए ‘एम्पावरिंग एजुकेटर्स इन द ग्लोबल साउथ’ शीर्षक से एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह अभिनव पहल ‘प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल एवं शिक्षा’ के लिए सामाजिक और भावनात्मक अधिगम तथा डिजिटल पेडागॉजी (शिक्षणशास्त्र) पर केंद्रित है जो इस कार्यक्रम के प्रमुख घटक हैं। ‘प्रारंभिक बाल्यकाल एवं देखभाल शिक्षा के लिए सामाजिक और भावनात्मक अधिगम’, 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों के साथ काम करने वाले शिक्षकों के लिए है। ‘डिजिटल शिक्षक : डिजिटल शिक्षणशास्त्र की एक आधारशिला’, जो प्रतिभागियों को उन्नत डिजिटल शिक्षण क्षमताओं से लैस करता है। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को यूनेस्को एमजीआईईपी के डिजिटल शिक्षण मंच के माध्यम से सतत व्यावसायिक विकास का प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे उनका व्यक्तिगत व्यावसायिक विकास सुनिश्चित होगा। यह कार्यक्रम शिक्षकों को प्रभावी रणनीतियों को अपने स्थानीय संदर्भों में लागू करने में सक्षम बनाएगा। इस कार्यक्रम में व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्रों के साथ-साथ वाराणसी के ऐतिहासिक स्थलों के शैक्षणिक व सांस्कृतिक भ्रमण भी शामिल हैं।
आईयूसीटीई, बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने इस कार्यक्रम को शिक्षा के वैश्विक स्तर पर आईयूसीटीई के योगदान को बढ़ाने की एक रणनीतिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम ग्लोबल साउथ के शिक्षकों को प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल एवं शिक्षा के लिए सामाजिक और भावनात्मक अधिगम के नवीनतम विकास और डिजिटल शिक्षणशास्त्र में मौलिक ज्ञान से सशक्त करेगा। यूनेस्को एमजीआईईपी, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. ओबिजियोफोर अगिनम ने डिजिटल शिक्षणशास्त्र और सामाजिक-भावनात्मक अधिगम के एकीकरण की परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल शिक्षणशास्त्र को सामाजिक-भावनात्मक अधिगम के साथ जोड़कर, हम शिक्षकों को अधिक समावेशी, लचीला और तकनीकी रूप से दक्ष, शिक्षार्थी के अनुरूप सक्षम शिक्षण वातावरण बनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। यह पहल ग्लोबल साउथ में शिक्षा प्रणालियों को नया आकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह कार्यक्रम 17 से 24 मार्च, 2025 तक आईयूसीटीई, बीएचयू परिसर में आयोजित किया जाएगा। इस पहल के अंतर्गत बांग्लादेश, भूटान, कैमरून, इथियोपिया, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, नेपाल, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, सेशेल्स, तंजानिया, थाईलैंड, ट्यूनिशिया, उज्बेकिस्तान और युगांडा सहित 19 देशों के 60 शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। यह शिक्षकों का क्षमता निर्माण कार्यक्रम निदेशकद्वय प्रो. आशीष श्रीवास्तव, आईयूसीटीई व श्रीमती अर्चना चौधरी, राष्ट्रीय परियोजना अधिकारी, यूनेस्को एमजीआईईपी, नई दिल्ली के निर्देशन में सम्पन्न होगा एवं पाठ्यक्रम का समन्वयन डॉ. कुशाग्री सिंह एवं डॉ. राजा पाठक कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, आईयूसीटीई, बीएचयू 18-19 मार्च, 2025 को ‘भारत@2047 के लिए उच्च शिक्षा में मूल्यांकन पद्धतियों का रूपांतरण’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य उच्च शिक्षा में प्रचलित मूल्यांकन पद्धतियों का गंभीर विश्लेषण करना है, जिससे शिक्षकों को पारंपरिक मूल्यांकन प्रणालियों को चुनौती देने वाले कारकों की पहचान और नवाचार अपनाने के लिए एक मंच प्रदान किया जा सके। यह आयोजन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा, जिससे प्रतिभागियों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित होगी। इसमें भारत के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के 50 से अधिक शिक्षक व आचार्यगण प्रतिभाग कर रहे हैं। इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह और सह-संयोजन डॉ. राज सिंह कर रहे हैं।
ग्लोबल साउथ में शिक्षकों को सशक्त बनाना शीर्षक से एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम को लेकर हुईं पत्रकार वार्ता
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