समाज कार्य संकाय काशी विद्यापीठ में विश्व जनसंख्या दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन।
वाराणसी समाज कार्य विभाग महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर गुरुवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। भारत में जनसंख्या वृद्धि अभिशाप या वरदान’ विषयक संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं प्रो. राजाराम शास्त्री के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन करके किया गया। मुख्य अतिथि सांख्यिकी विभाग बी.एच.यू. के सीनियर प्रो. कौशलेंद्र कुमार सिंह ने विश्व जनसंख्या दिवस के मनाए जाने तथा उसके विभिन्न आयामों एवं आंकड़ों को ध्यान में रखकर जनसंख्या वृद्धि की चुनौतियों को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि जनसंख्या का संतुलित विकास न होने पर विभिन्न प्रकार की सामाजिक आर्थिक मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जो कि जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं के समाधान को और भी चुनौतीपूर्ण बना सकता है। उन्होंने देश के युवाओं को स्किल्ड बनाने पर जोर दिया।
स्वागत एवं विषय प्रवर्तन संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. निमिषा गुप्ता ने किया। उन्होंने विश्व जनसंख्या दिवस के इतिहास तथा उसके मनाए जाने के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। सांख्यिकी विभाग काशी विद्यापीठ के प्रो. अनिल कुमार मौर्य ने युवाओं को जनसंख्या वृद्धि के मुद्दों से परिचित कराते हुए उनकी भूमिका निर्धारित करने पर जोर दिया जिससे कि भारत देश एक विकसित देश बन सके। उदय प्रताप कॉलेज से डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को साहित्य से जोड़ते हुए युवाओं को अपनी भूमिका के निर्वहन हेतु प्रेरित किया। डाॅ. संदीप गिरी ने ए.आई. टेक्नोलॉजी के कारण युवाओं के भविष्य रोजगार की समस्या और भी कठिन हो जाने की संभावना बताई। इसका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है इस पर अपने विचार रखे।
अध्यक्षता करते हुए समाज कार्य के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. एम.एम. वर्मा जनसंख्या वृद्धि को वरदान बताया। उन्होने जनसंख्या विशेषकर युवा आबादी के बेहतर मैनेजमेंट की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था युवा जनसंख्या के समुचित प्रबन्धन में असफल हो रही है यह आज की ज्वलंत समस्या है। यदि सरकार युवा जनसंख्या के समुचित एवं गुणवत्ता पूर्ण कौशल विकास एवं देश विदेश में उनके न्यायोचित सेवायोजन पर ध्यान दे तो जनसंख्या का वर्तमान स्वरूप हमारे देश के विकास के लिए अभिशाप की बजाय वरदान साबित हो सकता है। संचालन भारती कुरील एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. भावना वर्मा ने किया।