काशी बनारस यूथ थिएटर एवं बी वाई टी अकादमी के द्वारा नगवा स्थिति लिटिल फ्लावर हाउस में 21 मई से 40 दिवसीय अभिनय एवं 30 दिवसीय स्वरतरंग द्वितीय संगीत कार्यशाला आयोजित हो रही है। अभिनय कार्यशाला में 4 राज्यों से 8 एवं वाराणसी एवं अन्य जिलों से 10 बच्चों तथा 20 बच्चों ने संगीत कार्यशाला में भाग लिया है। आयोजक एवं संस्था की सचिव अर्चना निगम ने बताया कि हम प्रत्येक दो माह पर ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं किस की युवा पीढ़ी को कला क्षेत्र के सैद्धांतिक एवं प्रयोग दोनों की शिक्षा प्राप्त हो सके। कार्यशाला की सबसे खास बात यह है कि भारत में कहीं भी अभिनय की कक्षाएं प्रातः नहीं चलती और हमारी समस्त कक्षाएं सुबह 6 से 11 तक ही चल रही है। इस समय की गर्मी को देखते हुए यह आवश्यक भी है और साथ ही सुबह का सिखाए या पढ़ा जल्दी समझ में भी आता है। लिटिल फ्लावर हाउस की संचालिका श्रीमती अदिति गुलाटी जी ने बताया कि बनारस यूथ थिएटर उनके परिसर में लगभग 1 वर्ष से कार्य कर रहा है और जिस प्रकार युवाओं में एवं बच्चों कला के प्रति जागरूकता फैलाने का उसके सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों पक्षों को सीखने और पढ़ाने का कार्य बनारस यूथ थिएटर द्वारा किया जा रहा है यह भविष्य में कला क्षेत्र के संरक्षण और विकास में फायदा देगा, चूंकि भारत विभिन्न कला रूपों का देश है जो कि हमारी संस्कृति को और भी सुंदर रूप देता है। ऐसे में कला रूपों का संरक्षण और युवाओं में इसके प्रति प्रेम भारत के भविष्य के लिए अत्यंत सुखद होगा। अर्चना निगम खुद भी सितार वादक है एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मंच कला विभाग में पूर्व में संविदा पर अध्यापिका रही है साथ ही आपने इसी विभाग से मास्टर इन परफॉर्मिंग आर्ट में स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया है। वर्तमान में आप महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से डॉ. यशार्थ मंजुल जी के मार्गदर्शन में पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी कला का प्रशिक्षण देना कोई साधारण कार्य नहीं है क्योंकि आज के इस समय में हर इंसान खासकर युवा पीढ़ी सब कुछ तुरंत जानना और सीखना चाहता है इसमें धैर्य की कमी है लेकिन संगीत हो या अभिनय नृत्य हो या खेल किसी भी कला में पारंगत होने के लिए समय लगता है, मेहनत लगती है और धैर्य लगता है। प्रायोगिक ज्ञान के साथ सैद्धांतिक पक्ष का ज्ञान बहुत जरूरी है बनारस यूथ थिएटर इसी बात को ध्यान में रखते हुए कार्यशाला का आयोजन करता रहा है। किसी भी आयोजन में के लिए स्थान का होना बहुत महत्वपूर्ण है ऐसे में लिटिल फ्लावर हाउस की संचालिका जी का सहयोग कई बार मिला है कला यदि आज भी जीवित है तो उसमें समाज के ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों का बहुत बड़ा योगदान है। इससे पूर्व बनारस यूथ थिएटर ग्रीष्मकालीन कार्यशाला को भारतीय शिक्षा मंदिर, इंग्लिश लाइन पर संचालित करता रहा है और यह हमारा सौभाग्य है कि काशी के मूर्धन्य विद्वान एवं उनके द्वारा संचालित विद्यालय हमारे इस पुनीत कार्य में हमें सहयोग प्रदान करते हैं।
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