वसन्त कन्या महविद्यालय के संगीत विभाग की ओर से वसंतोत्सव ‘चलो ब्रज देखन होरी’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उत्सव नायक श्रीकृष्ण राधा के चरणों में गुलाल समर्पित कर किया गया तत्पश्चात महीयसि डाॅ. एनी बेसेण्ट को गुलाल एवं पुष्प अर्पित कर भावांजलि दी गई। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्त ने कहा छात्राओं को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से जोड़ने के लिए ऐसी परम्पराओं का सप्रयोग प्रस्तुतिकरण अत्यन्त आवश्यक है। विलुप्त होती सामाजिक संरचनाओं को भी ऐसे आयोजन से संरक्षण मिलता है। संगीत विभाग का ऐसा आयोजन कला और विषय दोनों ही रूप में ‘शिक्षा ही सेवा है’ महाविद्यालय के इस बीज वाक्य को पूर्ण आकार देता है। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रस्तुत करते हुए सांगीतिक प्रस्तुतियों की निर्देशक प्रो. सीमा वर्मा द्वारा सांगीतिक रचनाओं में ब्रज साहित्य का विशेष महत्व बताते हुए लोकधारा से शास्त्रीयधारा तक की विभिन्न शैलियों में कृष्ण के विविध लीला रूप रचे बसे हैं उनका सप्रयोग उदाहरण प्रस्तुत किया। वसंतपंचमी से डोलोत्सव तक विविध रागों में, अप्रचलित तालों में, होरी के पद भगवान शिव, राम और कृष्ण के प्रति केवल अपने प्रेम भाव ही समर्पित नहीं करते अपितु संगीत की विविध एवं शैलियों को पोषित एवं संरक्षित कर रहे हैं इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया। कार्यक्रम में धमार, ख्याल, रागमाला, चतुरंग, दादरा, रसिया व चलति दीपचंदी एवं कहरवा में विभिन्न बंदिशें प्रस्तुत की गईं। होरी-होरी-होरी खेलत नन्दलाल, खोये गयो बाजुबंद रसिया होरी में क्लिष्ट बंदिशें आकर्षण का केन्द्र रहीं। गायन में कुमारी श्रेया पाण्डेय, स्वास्ति मिश्रा, आरती कुमारी, वैदेही निमगाँवकर, वैष्णवी शुक्ला एवं सौम्या मौर्या नें सुमधुर प्रतिभागिता की। संवादिनी पर प्रो. सीमा वर्मा एवं तबले, पखावज एवं ढप पर सौम्यकांति मुखर्जी एवं डाॅ. अमित कुमार ईश्वर नें अद्भुत सहयोग प्रदान किया। जया राय के निर्देशन में महाविद्यालय में कथक प्रशिक्षण ले रहीं छात्राओं नें मनमोहक झांकी प्रस्तुत कर बिरज के साथ काशी की होरी को चित्रित किया।
कार्यक्रम में आशीर्वाद ज्ञापन प्रबंधक उमा भट्टाचार्या द्वारा किया गया। इस आयोजन में महाविद्यालय की समस्त शिक्षक-शिक्षिकायें रसिक कार्यालय सहयोगी सहित छात्रायें भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम का निर्देशन प्रो. सीमा वर्मा द्वारा एवं सफल संचालन डाॅ. पूनम वर्मा द्वारा किया गया।
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