वाराणसी – बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानूनी रूप से आंदोलन करने वाले इस्कॉन के स्वामी चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी को देशद्रोह के आरोप में अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों को दबाने का एक और प्रयास है, जिसकी हम तीव्र शब्दों में निंदा करते हैं। हिंदू जनजागृति समिति ने मांग की है कि भारत सरकार तुरंत हस्तक्षेप कर स्वामी चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी की बिना शर्त रिहाई सुनिश्चित करे और बांग्लादेश सरकार को हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए बाध्य करे। इस संबंध में वाराणसी के अपर जिला मजिस्ट्रेट (नगर) आलोक कुमार वर्मा जी को ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन देते समय वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा इंडिया विथ विजडम के संस्थापक व अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेश चंद्र त्रिपाठी,राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं न्याय परिषद महासचिव अधिवक्ता अरुण कुमार मौर्य, अधिवक्ता संजीवन यादव, काशी नटनियादाई व्यापार मण्डल महामंत्री अधिवक्ता प्रदीप यादव, भारतीय पथ विक्रेता संघ संस्थापक/संयोजक आशीष कुमार गुप्ता, अधिवक्ता विजय सेठ, अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश राय, अधिवक्ता सूरज यादव,. प्रमोद गुप्ता व हिंदू जनजागृति समिति के राजन केशरी एवं अन्य उपस्थित थे ।
बांग्लादेश में हिंदू समाज पिछले कई दशकों से धार्मिक अत्याचार, मंदिरों पर हमले, महिलाओं पर अत्याचार और संपत्तियों की लूट का सामना कर रहा है। स्वामी चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी ने ऐसे अन्याय का विरोध करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की मांग की। उनकी गिरफ्तारी ने बांग्लादेश के हिंदुओं के धार्मिक स्वतंत्रता को गंभीर खतरे में डाल दिया है ।
जैसे भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के माध्यम से बांग्लादेश के पीड़ित अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत की नागरिकता प्रदान करने का एक सराहनीय कदम उठाया है, वैसे ही बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार भारत के लिए केवल एक पड़ोसी देश का मुद्दा नहीं, बल्कि हिंदुओं के अस्तित्व, मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का संवेदनशील विषय है। यदि इन अत्याचारों को नहीं रोका गया, तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। इसलिए हिंदू जनजागृति समिति ने भारत सरकार से कड़े कदम उठाने और निर्णायक भूमिका निभाने की अपेक्षा व्यक्त की है।