यह पर्व प्रेम भक्ति और समृद्धि का प्रतीक है – कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा
वाराणसी: शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व शरद ऋतु के आगमन का प्रतीक है जो वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है। शरद पूर्णिमा में चण्द्रमा की पूर्णता पर पूजा होती है यह सुख समृद्धि और नई ऊर्जा के लिये किया जाता है। यह पर्व प्रेम भक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने शरद पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर विश्वविद्यालय परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान छात्रों शिक्षकों और कर्मचारियों को एक संदेश के माध्यम से व्यक्त किया।
सकारात्मक ज्ञान की तरफ प्रेरित करती है।
इस अवसर पर प्रो. शर्मा ने कहा शरद पूर्णिमा हमें प्राकृतिक सौंदर्य और जीवन की सार्थकता की याद दिलाती है। यह पर्व हमें अपने जीवन में सकारात्मकता शांति और ज्ञान की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
इस संस्था पर अपनी सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परम्पराओं को संरक्षित और प्रसारित करने की जिम्मेदारी है।
उन्होंने आगे कहा संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परम्पराओं को संरक्षित और प्रसारित करने की जिम्मेदारी है।यह पर्व हमें इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती है।
शरद पूर्णिमा के संदेश को अपने जीवन में उतारें।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विश्वविद्यालय समुदाय से आग्रह किया कि वे शरद पूर्णिमा के संदेश को अपने जीवन में उतारें और सामाजिक सद्भाव शांति और ज्ञान के लिए काम करें।