नर्स दिवस (12 मई) पर विशेष…
वाराणसी। मरीजों का उपचार और उन्हें स्वस्थ करने में चिकित्सक के अलावा नर्स का भी अहम योगदान होता है। उपचार के दौरान और उसके बाद नर्स के द्वारा मरीजों का दिन-रात ख्याल रखा जाता है, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। समुदाय स्तर पर भी वह लोगों की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने में आगे रहती हैं। उनके इसी सहज व सज्जन स्वभाव और सेवाभाव के प्रति आभार जताने के लिए हर साल 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है। इस बार दिवस की थीम ‘अवर नर्सेज, अवर फ्यूचर’ रखी गई है। वाराणसी में भी ऐसी नर्स हैं जो चिकित्सालय में मरीजों की दिन रात ड्यूटी कर उनकी देखभाल करती हैं। इसके अलावा अपने घर के आसपास के लोगों को स्वस्थ रखने में निःस्वार्थ मदद करती हैं।
मरीज की संतुष्टि से मिलती है खुशी – शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड में स्टाफ नर्स के पद पर तैनात नीतू कुमारी (30 वर्ष) ने कहा – “मरीज और उनके साथ आए परिजनों से अच्छा व्यवहार करने से उन्हें संतुष्टि भी मिलती है कि अस्पताल में उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। साथ ही मरीज को जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है। मरीजों की देखभाल करने में कभी पीछे नहीं हटती हूँ। सीएचसी के अलावा मैं घर पर भी अपने बच्चों और परिजनों का पूरा ख्याल रखती हूँ। आस-पड़ोस में लोगों को स्वस्थ रखने और बच्चों का घर पर ही टीकाकारण करने में मदद करती रहती हूँ। मुझे अपने काम से बहुत खुशी मिलती है”
मरीजों की सेवा करना पहला धर्म – स्टाफ नर्स प्रियंका (47 वर्ष) ने कहा – “मरीज की देखभाल करना, साथ ही उन्हें समझाना और उनके साथ रहकर उनको सपोर्ट करना। नर्स का पहला धर्म और कर्म होता है, जिसको निभाने में हम सभी लगातार प्रयास कर रहे हैं। किसी मरीज के साथ कोई घटना हो जाती है तो सबसे पहले नर्स के द्वारा ही उसे सांत्वना दी जाती है कि कोई दिक्कत नहीं है सब ठीक हो जाएगा। इसी सेवाभाव के साथ हम सभी को अपना काम में शत-प्रतिशत योगदान देना चाहिए। कोरोना संकट काल में हम सभी ने मरीजों की दिन रात सेवा की है, जिसे कभी बुलाया नहीं जा सकता”
मरीज के स्वस्थ होने पर मिलती है कई गुना खुशी – स्टाफ नर्स पूजा सिंह (34 वर्ष) ने कहा – “बचपन में मैं अपनी माँ के साथ स्वास्थ्य केंद्र पर जाती थीं, उस समय वह स्टाफ नर्स के पद पर तैनात थीं। उनका मरीजों के प्रति सेवभाव को देखकर बहुत अच्छा लगता था। माँ की प्रेरणा से मैं भी मरीजों की देखभाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। जब तक मरीज स्वस्थ न हो जाए, तब तक उससे और उसके परिजनों से लगातार संपर्क बनाए रखती हैं। मरीज के स्वस्थ होने के बाद मुझे बहुत खुशी मिलती है। परिजन भी देखभाल के लिए प्रशंसा करते हैं”
नर्स के रूप में घर-परिवार की पहली लड़की हूँ – स्टाफ नर्स रेशमा पाल (23) ने कहा – “हाल ही में मेरी नियुक्ति दुर्गाकुंड सीएचसी पर हुई है। मैं अपने घर और ससुराल की पहली लड़की हूँ, जो किसी सरकारी अस्पताल में नर्स बनी है। इस बात से सभी को मुझपर गर्व है। सीएचसी पर मिली जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभा रही हूँ। इसके लिए मरीजों और उनके घर वालों से अच्छा फीडबैक मिलता है। भविष्य में भी मैं इसी व्यवहार से कार्य करती रहूँगी।
सीएमओ डॉ संदीप चौधरी का संदेश – “अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर समर्पण और सेवाभाव की प्रतिमूर्ति सभी नर्सों को बधाई और शुभकामनाएं। स्वास्थ्य सेवा में नर्सों का हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। चिकित्सक को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। हमारी नर्स बहनें भी देवी स्वरूप होती हैं, जो निःस्वार्थ भाव से मानवता की सच्ची सेवा कर दूसरों के जीवन को खुशियों से भर देती हैं।”