वाराणसी। उपचार के दौरान हुई लापरवाही में मौत के मामले में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (अश्वनी कुमार) की अदालत ने मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) से सुसंगत तथ्यों की निष्पक्ष जांच करके एवं स्वतंत्र साक्ष्यों का बयान एवं आवश्यक दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र करके अपनी विस्तृत जांच आख्या न्यायालय के समक्ष एक माह के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 11 अक्टूबर 2024 नियत की।
प्रकरण के अनुसार गड़वासी टोला थाना चौक निवासी परिवादी द्वारिकानाथ तिवारी ने अपने अधिवक्ता अभिषेक कुमार दूबे के जरिए अदालत में परिवाद दाखिल किया था। आरोप था कि 20 अप्रैल 2017 को उसकी बहु की तबीयत खराय होने पर वह उसे इलाज के लिए चौक स्थित बॉसफाटक हिन्दू सेवा सदन चिकित्सालय ले गया। वहाँ उपस्थित डा० राजीव जायसवाल द्वारा सपना तिवारी का ब्लड प्रैशर जांच के अलावा बिना और कोई जाँच कर तत्काल इंजेक्शन SUDAC-50 लगा दिया गया, किन्तु उसकी बहू को आराम नहीं मिला। 21 अप्रैल 2017 को आराम न मिलने के कारण उसकी हालत बिगड़ने लगी और 22 अप्रैल 2016 को उसकी बहु सपना तिवारी की तबीयत ज्यादा खराब हो जाने पर एक अन्य डाक्टर अशोक कुमार को दिखलाया और पूर्व इलाज की दवाइयों दिखायी तो उन्होंने मरीज की हालत देखते हुये उन्हें तत्काल किसी बड़े आर अच्छे अस्पताल में भर्ती करने की सलाह देते हुये त्रिमूर्ति हास्पिटल गये जहाँ इलाज कराने पर प्रार्थी को बताया गया कि मरीज को सेप्टीसेमिया व मलेरिया इत्यादि है। काफी इलाज के बावजूद भी सपना तिवारी जो लगभग 22 अप्रैल से 4 मई तक जिन्दगी और मौत के बीच जूझती रही और अन्ततः 4 मई को सपना तिवारी की मृत्यु हो गयी।