आवेदिका शम्पा रक्षित निवासी, सिगरा वाराणसी द्वारा सूचना दिया गया था कि उनको गिरफ्तारी आदि का भय दिखाकर आनलाइन हाउस अरेस्ट कर उनके साथ 3.55 करोड़ की साइबर फ्राड कर लिया गया था, जिसके पश्चात् साइबर क्राइम पुलिस थाना वाराणसी पर मु.अ.सं. 0035/2024 धारा- 417, 420, 384, भा.द.वि. व 66 डी. आई.टी. एक्ट में मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना प्रचलित है।
उक्त प्रकरण के गंभीरता के दृष्टिगत पुलिस आयुक्त कमिश्ररेट वाराणसी मोहित अग्रवाल द्वारा आवश्यक निर्देश दिया गया था जिस पर पुलिस उपायुक्त (अपराध) चन्द्रकान्त मीना द्वारा घटना का सफल अनावरण हेतु तीन टीमों का गठन किया गया था। जिसके पश्चात् अपर पुलिस उपायुक्त (अपराध) टी. सरवणन व सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) गौरव कुमार द्वारा नेतृत्व करते हुए प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम थाना विजय नारायण मिश्र की अगुवाई में साइबर क्राइम थाना वाराणसी टीम द्वारा तमामी इलेक्ट्रानिक विश्लेषण व सर्विलांस के उपरांत प्रकाश में आये निम्नलिखित अभियुक्तगणों को पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है –
अभियुक्तगण उपरोक्त से पूछने पर बता रहे कि हमलोग के द्वारा यह जानकारी किया जाता है कि कौन प्रतिष्टित व्यक्ति है अथवा कौन व्यक्ति रिटायर हुआ है अथवा किसके पास अच्छे पैसे होंगे, उनके संबन्ध में सोशल मीडिया के माध्यम से पुरी जानकारी इक्ट्ठा कर लेते है और वीडियो कालिंग विभिन्न एप के माध्यम से फर्जी डिजिटल हस्ताक्षरित कूटरचित वारंट आदि भेजकर गिरफ्तारी का भय दिखाते और उनकों दिमागी रूप से ऐसा कर देते है कि उपरोक्त क्रम/घटना को किसी को न बताये, अपने कमरे से बाहर न आये, अन्य सभी मोबाइल फोन आफ करवा देते है और बैंक संबन्धित सभी विवरण प्राप्त कर आर.बी.आई. बैंक का हवाला देकर जांच के नाम पर कि जांच के बाद पैसा आपको वापस मिल जायेगा, पैसा दूसरे खाते में ट्रासफर करवा लेते है, तब तक उनको कही जाने किसी से बात करने आदि से बिल्कुल मना कर देते है और जैसे ही पैसा ट्रासफर हो जाता है, हमलोग उन पैसों को विभिन्न खातों में ट्रासफर करते हुए विभिन्न तरीके से निकाल लेते है। इसी प्रकार साइबर अपराधियो के साथ मिलकर अवैध धन कमाने के उद्देश्य से वादिनी मुकदमा के साथ फर्जी डिजिटल हस्ताक्षरित कूटरचित वारंट आदि का भय दिखाते हुए पैसो की ठगी की गयी।
हमलोग साइबर अपराधी साथियों की साथ मिलकर योजना व षड़यंत्र बनाकर अपनी अपनी भूमिका निभाते हुए तथा अपने-अपने हिस्से का काम करते है, हमलोग योजनाबद्ध तरिके से षड़यंत्रपूर्वक अपनी पहचान छुपाने के उद्देश्य व पुलिस के पहुँच से दूर रहते हुए साइबर अपराध में करते है तथा पैसा ले करके बैंक खाते, सिम कार्ड व अन्य आवश्यक सामाग्री अपने आप को बचाते हुए अपने साथी अन्य साइबर अपराधियो को बेच देते है। हम लोगो द्वारा योजनाबद्ध तरिके से षड़यंत्रपूर्वक मुकदमा उपरोक्त में 55 लाख रूपये मंगवाये तथा अन्य साइबर अपराध से संबन्धित पैसे मंगावायें, इन पैसो को विभिन्न बैंको के खातों में ट्रान्सफर कराकर चेक बुक व अन्य माध्यमों से अपने सिन्डीकेट / साइबर साथियों के माध्यम से निकलवा लिया गया तथा शेष बचे पैसो को अपने व अपने साइबर अपराधी साथियो के द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे बेटिंग / लाटरी / गेमिंग एपलिकेशन जैसे तिरंगा लाटरी व दमन आदि के पेमेन्ट गेटवे में यह खाता सेट कर उनके लगभग 1200 यूजर्स के खातों में छोटी छोटी धनराशि ट्रान्सफर कर दी गयी जिससे पुलिस भ्रमित हो जाये उनका ध्यान हम लोगो की तरफ ना आये। हम लोगों का सबसे बड़ा उद्देश्य यह रहता है कि साइबर अपराध करने के बाद हम लोगो की पहचान उजागर न हो तथा हम लोगो के विरुद्ध कोई साक्ष्य न मिले। तथा सुरक्षित तरीके आर्थिक लाभ प्राप्त करें। हम सभी लोगो को इस बात की जानकारी हो गयी थी कि पुलिस हम लोगो को तलाश रही है इसलिए हम तीनो लोग जयपुर से भाग करके अपने साइबर अपराधी साथियों के पास सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए निकल रहे थे कि आपलोगों द्वारा पकड़ लिया गया।