वाराणसी: इस कार्यक्रम के आयोजक डॉ कविता प्रसाद प्रपौत्री महाकवि जयशंकर प्रसाद एवं अवधेश गुप्ता ने बताया कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ भाषा संस्थान उत्तर प्रदेश एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। यह कार्यक्रम साहित्य के दो मित्रवत स्तंभ मुंशी प्रेमचंद एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद को समर्पित है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं नाट्योत्सव
२१ सितंबर राष्ट्रीय संगोष्ठी २२ सितंबर नाट्योत्सव।
केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ वाराणसी।
प्रेमचंद और प्रसाद एक सिक्के के दो पहलू और दोनों ही बनारस की संतानें थी। प्रसाद का जन्म शहर के मध्य गोवर्धन सराय में तो प्रेमचंद का जन्म बनारस से ७ कि०मी० उत्तर की ओर लमही नामक ग्राम में हुम था। प्रसाद भारत की गौरवशाली अतीत को लेकर राष्ट्रबोध का परिचय देते हैं तो प्रेमचंद तत्कालीन दलित समाज को लेखनी का विषय बनाते हैं। दोनों बेनिया बाग में सुबह टहलते थे और बातचीत करते थे।
हिंदी साहित्य के दो मित्रवत स्तंभ जयशंकर प्रसाद और प्रेमचंद को समर्पित।
आजकल प्रेमचंद जयशंकर प्रसाद भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे साहित्यकार क्यों नहीं दिख रहे हैं? आज दिखावे और फंतासी का बोलबाला है। प्रतिस्पर्धा प्रतिभा से ऊपर हो गई है। ये भी देखने में आ रहा है कि नये लेखकों में अहम की भावना घर कर रही है जिस प्रकार पहले के कवि और लेखक एक दूसरे का सम्मान करते थे आजकल एक दूसरे की बखिया उधेड़ने में लगे रहते हैं। साहित्य के मर्म को कोई समझना नहीं चाहता बस तुरंत प्रतिक्रया देना है। जातिवाद पहले से ज्यादा देखने में आ रहा है। रामचरित मानस विवादित हो गई है और क्या कहें। अच्छे साहित्यकार अंतर्मुखी हो रहे हैं वे स्वआंत सुखाय पर यकीन करने लगे हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का रायता बनाकर रख दिया है लोगों ने। बस उम्मीद कर सकते है कि साहित्य का अच्छा दौर वापस आ जाये। बच्चे बच्चे के हाथ में मोबाइल है अब पढ़ना कोई चाहता ही नहीं। पढ़ना लिखना आउटडेटेड हो गया है
भारतवर्ष की उन्नति उसकी गौरव गरिमा राष्ट्र भाषा हिन्दी के साहित्य की समृद्धि पर निर्भर है। विश्व हमें धर्मगुरु मानता है। राष्ट्र के कोने कोने में हो रहे साहित्य पर आधारित सांस्कृतिक आयोजन भारतवर्ष को उन्नति व समृद्धि ये शिखर पर ले जा रहे हैं। राष्ट्र भावना से ओत प्रोत साहित्य का आदान प्रदान की प्रक्रिया के क्षेत्र में कार्यकिया जाना चाहिये जिससे जनमानस मे भाषा के प्रमुख रचनाकार एवं अपने प्रिय साहित्यकार के रचित साहित्य से तादात्म्य बने। साहित्य के पितामह को देश भर में कार्यक्रमों के माध्यम से सदैव सम्मानित किया जाता है साथ यह भी जानकारी प्राप्त होगी कि अन्य शहरों में क्या हो रहा है। प्रसाद जी के साहित्य पर हो रहे आयोजनों के माध्यम से समाज तक हमारी साहित्यिक तथा सामाजिक समस्याओं मे राष्ट्र भक्ति की भावनाओं को सीधे दर्शकों तक पहुंचा सकते है।
साहित्य व संस्कृति के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए साथ ही इस समारोह के दौरान आये हुए अतिथियों एवं कलाकारों के साथ परिचर्चा का भी आयोजन कर रहे है। संगोष्ठी की अध्यक्षता केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. वांगचुक दोरजी नेगी उपाध्यक्ष संस्थान की कुलसचिव सुनीता चंद्रा एवं कार्यक्रम मैं मुख्य अतिथि प्रोफेसर रामेश्वर राय एवं विशिष्ट अतिथियों में बनारस के अनेक विद्वान उपस्थित होंगे जिसमें साहित्य भूषण डॉ दया निधि मिश्रा प्रोफेसर हरी प्रसाद अधिकारी संपूर्णानंद से प्रोफेसर राम सुथार सिंह प्रोफेसर श्रद्धानंद डॉक्टर राजेश गौतम आकाशवाणी से डॉ प्रवीण कुमार गुंजन एवं डॉ गौतम चैटर्जी अनेकों विद्वान उपस्थित रहेंगे।
नाटयोत्सव के मंचन में बनारस की प्रसिद्ध संस्था कामायनी संस्था की तरफ से प्रेमचंद प्रसाद पर संस्मरण नाटक एवं प्रेमचंद द्वारा लिखित शतरंज के खिलाड़ी जिसका निर्देशन अमलेश श्रीवास्तव ने किया है और कामायनी महाकवि जयशंकर के कालजई काव्य कामायनी का मंचन उमेश कुमार शुक्ला के निदेशन में होगा।
इन आयोजन का उद्देश्य साहित्य के माध्यम से राष्ट्रीय अखंडता एकता और सद्भाव का अनुभव करवाना एवं भारतवर्ष के विकास में हिंदी भाषा को केन्द्र में रखकर एक भारत श्रेष्ठ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना।
केंद्रीय उच्च तिब्बती पर शिक्षा संस्थान सारनाथ में भाषा संस्थान उत्तर प्रदेश एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से दिया जा रहा है
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