वाराणसी :- हजरत सैयद सालार मसूद गाजी के उर्स पर मियां की चली आ रही 1023 साल पुरानी रवायत इस बार टूट गई। पहली बार बनारस से शृंगार की सामग्री गाजी मियां के मुख्य दरगाह बहराइच नहीं भेजी जा सकी। सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी है।
बहराइच दरगाह पर गाजी मियां के उर्स पर लगने वाले मेले पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। हर साल पलंग पीढ़ी के जुलूस के रूप में काशी से उनके मुरीद शृंगार की सामग्रियां लेकर जाते हैं और वहां चढ़ाते हैं।
इस वर्ष नहीं निकला जुलूस
यह जुलूस शुक्रवार को ही जाना था। दरगाह कमेटी के गद्दीनशीन हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने बताया कि इस बार बहराइच में रोक के बाद यहां पर भी प्रशासन और कमेटी की वार्ता के बाद जुलूस नहीं ले जाने का फैसला किया गया। कमेटी के सदर हाजी सेराजुद्दीन अहमद व हाजी एजाजुद्दीन हाशमी की सरपरस्ती में शुक्रवार को बड़ी बाजार स्थित गाजी मियां की दरगाह पर मेदनी की रस्म निभाई गई।
18 मई को मनाया जायेगा उर्स
दरगाह के चारों तरफ अकीदतमंदों ने पलंग पीढ़ी और निशान लेकर जियारत की। इसके बाद शृंगार के सामान चढ़ाए गए। एजाजुद्दीन हशमी ने बताया कि 18 मई को गाजी मियां के उर्स मनाया जाएगा। इस दौरान शादी की रस्में निभाई जाएंगी। लेकिन, इस बार यहां मेला नहीं लगेगा।
1023 वर्ष की बताई जाती है परम्परा
एजाजुद्दीन हशमी ने बताया कि 1023 साल से हम गाजी मियां का उर्स मना रहे हैं। मेदनी का जुलूस भी उस दौर से ही निकल रहा है। ये हमारी आठवीं पीढ़ी है जो इस रस्म को निभा रही है। रस्म अदायगी में डॉ. अजीजुर्रहमान, नियाजुद्दीन हाशमी, अब्दुल्लाह हाशमी, शमीम अख्तर, कैसर हयात हाशमी, आरिफ हाशमी, निजामुद्दीन, मुख्तार अहमद आदि शामिल रहे।

