वाराणसी: हिन्दू जीवनमूल्यों परम्पराओ मानबिन्दुओं के प्रति श्रद्धा रखने वाली विश्व के कल्याणार्थ अजेय हिन्दू शक्ति खड़ी करेंगे इस पावन लक्ष्य के लिये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 1964 को स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम पवई मुम्बई में स्थापित विश्व हिन्दू परिषद विश्व भर में निवास कर रहे संपूर्ण हिन्दू समाज को जाति मत पथ आषा भौगोलिक सीमा से ऊपर उठकर आग्रही संगठित सशक्त श्रद्धालु अपने पूर्वज परम्परा मान्यता मानबिन्दुओं पर गौरव रखने वाले तथा इनकी पुनर्प्रतिष्ठा करने के लिये सर्वस्व न्योछावर करने का संकल्प लेने वाले हिन्दू को खड़ा करने का संकल्प ले विश्व हिन्दू परिषद जैसा महान संगठन स्थापित हुआ।
1966 तीर्थराज प्रयागराज में महाकुम्भ में परिषद द्वारा आयोजित प्रथम विश्व हिन्दू सम्मेलन संभवतः महाराज हर्ष के बाद हिन्दू का हिन्दू जीवनमूल्यों की रक्षा के संकल्प के उद्देश्य से महाकुम्भ में सबसे विराट एकत्रीकरण था। देश विदेश से हिन्दू को हिन्दू के नाते खड़ा करेंगे ऐसा दृढ़संकल्प ले उमड़ी हिन्दू जन शक्ति मंच का नयनाभिराम दृश्य हिन्दू समाज ने वर्षों बाद देखा।
1969 उडूपी कर्नाटक हिन्दू सम्मेलन मंच पर प्रमुख पूज्य संतगण और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूज्य गुरुजी की गरिमामयी उपस्थिति।
पूज्य संतों द्वारा हिन्दू समाज में पराधीनता के लम्बे कालखण्ड के दुष्परिणाम से व्याप्त अश्पृश्यता के विरुद्ध।
प्रस्ताव स्वीकृति हिंदू समाज के लिए ऐतिहासिक क्षण।
पूज्य संतो का घोषणा छुआछूत शास्त्रसम्मत नहीं
जन्म के आधार पर कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं।
कोई पावन नहीं कोई अपवित्र नहीं हम सब ऋषिपुत्र हैं। भारतमाता की सन्तान हैं सहोदर भाई हैं पूज्य संतों ने घोषणा की।
हिंदवः सोदराः सर्वे न हिंदू पतितो भवेत्। मम दीक्षा हिन्दू रक्षा मम मन्त्र लाभ।
1979 में तीर्थराज प्रयाग में संगम के पावन तट पर।
द्वितीय विश्व हिन्दू सम्मेलन देश विदेश के प्रतिनिधियों की सहभागिता।
सरयू मैया का पावन तट एकत्रित हुआ रामभक्तों का जनज्वार पूज्य सन्तों के साथ उपस्थित रामभक्तो ने संकल्प लिया रामजी की नगरी में सरयू के पावन तट
पर रामलला की जन्मभूमि में रामलला के भव्य मन्दिर को तोड़कर आक्रांता बाबर द्वारा बनाई गई इमारत में ताले में बंद रामलला को मुक्त करा भव्य मंदिर के निर्माण का विश्व हिन्दू परिषद ने आरम्भ किया पूज्य संतो के आदेश से विश्व का सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा अहिंसक जनान्दोलन श्री राम जन्मभूमि आंदोलन। अंततः हिन्दू शक्ति के सामुहिक जागरण का सुपरिणाम हम सबके जीवनकाल में आया रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ राष्ट्रीय सेभीमान के पुनर्प्रतिष्ठा का एक चरण पूर्ण हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य दिवस पर परिषद की स्थापना एक दैवी संयोग ही है श्रीकृष्ण के अवतार के कालखण्ड में देश की परिस्थिति और परिषद के स्थापना के समय देश की स्थिति में अनूठा साम्य दिखता है।
आगामी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को विश्व हिन्दू परिषद के ध्येययात्रा के 60 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं
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