वाराणसी में ई-रिक्शा चालकों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गयी है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से 2016 में वाराणसी में ई-रिक्शा की शुरूआत की थी, जिसे रोजगार के एक साधन के रूप में
प्रोत्साहित किया गया था। कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए ई-रिक्शा एक आत्मनिर्भरता और.स्वावलम्बन का सशक्त माध्यम है। आज वाराणसी में 25,000 से अधिक ई-रिक्शा चालक.अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए इस पेशे पर निर्भर हैं। हालांकि, वर्तमान में इन ई-रिक्शा चालकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें प्रतिदिन की ई०एम०आई०, बैटरी चार्जिंग, वाहन रख-रखाव, और अन्य.खर्ची के लिए लगभग रूपया 500 की लागत होती है, इसके बाद बची इनकी दैनिक आय बहुत ही कम है। यदि नये प्रस्तावित ई-रिक्शा मार्ग लागू होते हैं, तो इनकी आमदनी में और भी कमी आ सकती है, जिससे इनकी स्थिति और गम्भीर हो जायेगी। हाल ही में हरहुआ, वाराणसी में एक चालक श्रीनाथ प्रजापति ने कमाई की कमी के कारण आत्महत्या कर ली, जो कि अत्यन्त दुखद और चिंताजनक है। मान्यवर, हमने पिछले पाँच महीनों में पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी और नगर आयुक्त से कई बार मुलाकातें की हैं। हालांकि, हमें आश्वासन तो मिला है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है। इसके विपरीत, मार्ग निर्धारण जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, जो ई-रिक्शा चालकों की स्थिति की और भी दयनीय कर सकते हैं। वाराणसी में 70 प्रतिशत से अधिक ई-रिक्शा बैंक से लोन पर लिये गये हैं। यदि जल्द ही इनकी परिस्थितियों में सुधार नहीं हुआ, तो यह महाराष्ट्र के किसानों जैसी स्थिति को जन्म दे सकती है, जहाँ कई किसान लोन की किश्तें नहीं चुका पाने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि अपनी जनता की खुशहाली और समृद्धि को ध्यान में रखते हुए टोटो चालकों के हित में हमारी 9 सूत्री मांगों को यथाशीघ्र हमारी 9 सूत्री मांगों को यथाशीघ्र पुरा किया जाय .
वाराणसी के यातायात विभाग द्वारा प्रस्तावित रोजगार विरोधी मार्ग रोकने की नीति का बहिष्कार हेतु-9 सूत्रीय मांग पत्र
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