मातृभाषा, अपनी माँ को नहीं भूलने देती है– प्रो दिनेश कुमार गर्ग।
भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल’। मतलब मातृभाषा की उन्नति बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है। मातृ भाषा अपनी माँ को नहीं भूलने देती है।
उक्त विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित हिन्दी दिवस के पूर्व संध्या पर साहित्य संस्कृति संकाय के प्रमुख प्रो दिनेश कुमार गर्ग ने
अध्यक्षीय उद्बोधन में
व्यक्त किया।
हिंदी भाषा ने सदैव जोड़कर आपसी संपर्क को और सशक्त, समृद्ध किया– प्रो विद्या कुमारी चंद्रा।
आधुनिक भाषा एवं भाषा विज्ञान की विभागाध्यक्ष एवं संयोजिका डॉ विद्या कुमारी चंद्रा ने कहा कि हिंदी भाषा हमारी राजभाषा के रूप में आज विश्व पटल पर प्रतिष्ठित है ।14 सितंबर सन् 1949 को हिंदी भाषा के रूप में सारे देशवासियों के द्वारा स्वीकार किया गया ।हिंदी एक ऐसी भाषा है ,जिसने समय पर समाज में क्रांति का आह्वाहन किया चाहे वह आदिकाल हो , वह भक्ति काल हो या आधुनिक काल हो चाहे आज का परिवेश हो । आधुनिक काल में हिंदी ने समय-समय पर एक अलख जगाया है ,और समाज को परिवर्तित करके समाज की एक नई रूपरेखा तैयार की है ।हिंदी भाषा ने सदैव जोड़कर आपसी संपर्क को और सशक्त, समृद्ध किया है।
विषय प्रवर्तन एवं स्वागत-
आधुनिक भाषा एवं भाषा विज्ञान की विभागाध्यक्ष एवं संयोजिका डॉ विद्या कुमारी चंद्रा ने हिंदी दिवस समारोह का संयोजन किया।
समारोह के प्रारम्भ में–
मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन
स्वागत और अभिनंदन–
अंग वस्त्रम,माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया गया.
धन्यवाद ज्ञापन– डॉ प्रेम कुमार सिन्हा.
उपस्थित ज़न–
संचालन डॉ सुमिता कुमारी ने किया । इस कार्यक्रम में डॉक्टर डॉ प्रेम निवास सिन्हा डा सोहन कुमार डा मोहम्मद सलीम डा आशुतोष कुमार एवं छात्र सत्यजीत तिवारी आनन्द कुमार झा रितेश प्रकाश दुबे बालेश्वर मिश्रा विपुल पांडेय अंकित उपाध्याय संजय दुबे यस जयसवाल यश तिवारी आदि छात्र उपस्थित रहे।