फास्ट टेस्ट के माध्यम से ब्रेन स्ट्रोक से बचा जा सकता है– डॉ• वी•पी• सिंह
प्रकृति से छेड़-छाड़ कर
गम्भीर बीमारियों का आमंत्रण किया जा रहा है- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा
ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए एक बहुत ही कारगर टेस्ट है जिसे आप घर पर भी आसानी से कर सकते हैं. इसे फास्ट (FAST) के नाम से जाना जाता है. अगर आपको लगे कि किसी भी इंसान में स्ट्रोक का खतरा है, तो फास्ट (FAST Test) को घर पर ही कर सकते हैं. आइए जानते हैं फास्ट के चरण है जिसमें
F (Face): मुख के किसी भाग में असमानता देखें। क्या मुस्कान असमान है?
A (Arms): दोनों हाथों को उठाने की कोशिश करें। क्या एक हाथ अन्य हाथ से कमजोर दिखाई देता है?
S (Speech): कुछ शब्दों को दोहराएं और जानें। क्या बोलने में तो कोई difficulty नहीं हैं?
T (Time): अगर उपरोक्त लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द
संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी एवं वाराणसी व्यापार मण्डल, वाराणसी के संयुक्त तत्त्वाधान में “तनाव प्रबन्धन एवं न्यूरो निदान” विषय पर मुख्य भवन में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार
में डॉ वी•पी• सिंह (चीफ न्यूरो सर्जन, मेदांता हॉस्पिटल गुडगाँव) बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किया।
डॉ वीपी सिंह ने कहा कि इसी प्रकार से तनाव मुक्त जीवन निर्माण करना चाहिए तभी हम निरोगी और आनंद के साथ जीवन व्यतित करेंगे।
सभी रोगों का राजा मधुमेह है–
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि
हम सभी ने अपने दैनिक जीवन में तनाव का अनुभव किया है आधुनिक जीवन कठिनाइयों, अत्यधिक जिम्मेदारियों और असुविधाओं से भरा है। तनाव अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन अगर इसकी अधिकता हो तो यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।
इससे सभी रोगों का राजा मधुमेह हो सकता है, मधुमेह से सभी रोगों का निर्माण होता है।
तनाव और चिंता के लिए आयुर्वेद उपचार में जीवनशैली में संशोधन, आहार और व्यायाम शामिल हैं।
तीन ऊर्जाएं या दोष हमारे शरीर में तनाव के स्तर को नियंत्रित करते हैं–
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि
आयुर्वेद के अनुसार, तीन ऊर्जाएं या दोष हमारे शरीर में तनाव के स्तर को नियंत्रित करते हैं: वात, पित्त और कफ। किसी व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक और नकारात्मक तनाव की मात्रा इन तीन ऊर्जा स्तरों (दोषों) से काफी प्रभावित होती है। तनाव और चिंता के आयुर्वेद उपचार के अनुसार , अधिकांश लोगों के शरीर में द्वि-दोशिक संरचना (वात-पित्त, पित्त-कफ, वात-कफ) होती है। ये दोष उनके समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं।इसके साथ साथ ही प्राकृतिक सामंजस्य स्थापित कर रचनात्मक भूमिका के साथ आगे बढ़े।प्रकृति से अनवरत जुड़ाव रखे जाएं इसी से मानव जीवन सुरक्षित होगा।इनकी हमें रक्षा करनी चाहिए परंतु हम अपने ही गलत कार्यों से प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप न सिर्फ पर्यावरण बिगडऩे से तरह-तरह के प्राकृतिक प्रकोपों भूकम्पों, बेमौसमी वर्षा, बाढ़ों, आकाशीय बिजली गिरने तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं के चलते भारी विनाश हो रहा है बल्कि लोग गम्भीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
अध्यक्षता–
इसके संयोजक एवं अध्यक्ष वाराणसी व्यापार मंडल अजीत सिंह बग्गा ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के व्यस्त समय में सभी लोग तनाव से ग्रसित हैं, इसी से रोगों का आमंत्रण होता है।
सेमिनार का संचालन–
राष्ट्रीय सेमिनार का संचालन डॉ हृदय नारायण पाण्डेय ने किया।
राष्ट्रीय सेमिनार के प्रारम्भ में–
स्वागत और अभिनंदन–
राष्ट्रीय सेमिनार के प्रारम्भ में मंच पर आसीन अतिथियों का स्वागत माला, दुपट्टा एवं स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया।
दीप प्रज्वलन-
सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया।
उपस्थित ज़न-
उक्त अवसर पर कुलसचिव राकेश कुमार, प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती,प्रो दिनेश कुमार गर्ग, प्रो शैलेश कुमार मिश्र, प्रो राजनाथ, प्रो विद्या कुमारी, मनीष गुप्ता एवं
कवींद्र जायसवाल सहित अध्यापक, कर्मचारी सहित छात्र उपस्थित रहे।