गंभीर स्थिति में ब्लडप्रेशर व प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं ऐसे में घबराएँ नहीं
खतरे के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी सरकारी चिकित्सालय में जांच व उपचार कराएं
लापरवाही करने से बढ़ेगी डेंगू बीमारी, झोलाछाप डॉक्टर से बनाकर रखें दूरी – डॉ क्षितिज तिवारी (एमडी मेडिसिन)
वाराणसी । डेंगू बीमारी इतनी दर्दनाक और भयानक हो सकती है मुझे पता नहीं था। पिछले साल मुझे डेंगू हुआ था, जिसमें लक्षणों की पहचान होने में बहुत मुश्किल आई थी। झोलाछाप डॉक्टर के पास जांच के लिए गए तो उन्होंने सामान्य बुखार की दवा लिख दी। खून जांच के लिए कोई सलाह नहीं दी। लेकिन जब दवाओं से राहत नहीं मिली तो सरकारी अस्पताल (एसएसपीजी) में जाकर डॉक्टर से जांच कराई। उन्होंने खून की जांच कराने की सलाह दी। जांच कराई तो पता चला कि मेरे अंदर डेंगू के लक्षण हैं और लापरवाही की तो जान भी जा सकती थी। अस्पताल में दो-तीन दिन भर्ती रहे। प्लेटलेट्स और ब्लडप्रेशर भी बहुत कम हो गया था लेकिन लगातार तरल पदार्थ के सेवन और आवश्यक दवाओं से प्लेटलेट्स बढ़ने लगी और ब्लड प्रेशर भी सामान्य हो गया। घर पर मच्छरदानी लगाकर रहते थे, जिससे घर के किसी और सदस्य को डेंगू न हो, क्योंकि डॉक्टर ने बताया था कि संक्रमित मरीज को जब डेंगू वाहक मच्छर काटता है तो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। – नेवादा निवासी 24 वर्षीय अजय पटेल (परिवर्तित नाम)
पिछले साल बनारस में डेंगू और वायरल फीवर बहुत तेजी से फैला था, जिसका प्रकोप मैंने भी झेला था। घर के आसपास कहीं गंदगी भी नहीं थी और न ही किसी प्रकार के गंदे पानी का जलजमाव था। लेकिन जब मुझे वायरल फीवर हुआ और जांच के लिए सरकारी अस्पताल गया तो वहाँ डॉक्टर ने बताया कि जल्द से जल्द खून की जांच करा लीजिये। जांच कराई तो पता चला कि मेरे अंदर डेंगू के लक्षण आ चुके थे। डॉक्टर ने बताया कि डेंगू का मच्छर सिर्फ साफ पानी में पाया जाता है। यह सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। डॉक्टर ने मेरा भ्रम दूर किया। सरकारी जांच और उपचार से मैं ठीक तो हो गया था। लेकिन अब आगे के लिए मुझे सीख मिल गई कि डेंगू का मच्छर साफ़ पानी पनपेगा, इसकी रोकथाम के लिए किसी भी स्थान या घर के पात्र में साफ पानी जमा नहीं होने देना है। – सामने घाट निवासी 28 वर्षीय मनीष सिंह (परिवर्तित नाम)
भेलूपुर स्थित एसवीएम राजकीय चिकित्सालय के अधीक्षक (एमडी मेडिसिन) डॉ क्षितिज तिवारी का कहना है कि डेंगू के प्रकोप को लेकर पिछले साल जिस तरह की स्थिति वाराणसी में थी, उस तरह की स्थिति इस बार पैदा न हों। पिछले वर्ष जिन्हें डेंगू का पहला सीरो टाइप हो गया था। यदि इस बार उन मरीजों को तीन अन्य सीरो टाइप में से कोई एक हो जायेगा तो वह रोगी बेहद गंभीर स्थिति में आ जायेगा। पूर्व में ग्रसित हुए मरीजों को इस साल विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है। साथ ही सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हमेशा डेंगू के मरीजों को मच्छरदानी के अंदर ही रखा जाता है, जिससे उन्हें डेंगू वाहक मच्छर न काटे और दूसरों को संक्रमित न कर सकें। साथ ही लोगों के भ्रम को भी दूर करना बेहद जरूरी है, क्योंकि डेंगू का मच्छर हमेशा साफ पानी में पनपता है। डेंगू, एक वायरल फीवर है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित एडीज़ एजीप्टाइ मच्छर के माध्यम से प्रसारित होता है। 90 प्रतिशत सामान्य वायरल फीवर के मरीज पाये जाते हैं लेकिन 10 प्रतिशत मरीजों में डेंगू के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। यदि समय से जांच व उपचार कराया जाए तो मरीजों को और भी कम किया जा सकता है।
डॉ क्षितिज ने बताया कि डेंगू के गंभीर व खतरे के लक्षण जैसे ब्लडप्रेशर का असामान्य रूप से कम होना, निरंतर उल्टी, मसूड़ों से खून निकलना, निरंतर तीव्र ज्वर, शरीर के किसी भाग पर चकत्ते पड़ना, पल्स रेट में तेजी आना आदि हैं। इस तरह के गंभीर लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी सरकारी चिकित्सालय में जाकर सामान्य जांच के साथ-साथ आवश्यकतानुसार खून की भी जांच जरूर कराएं। समय से जांच व उपचार कराने से डेंगू को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि खतरे के लक्षण वाले मरीज तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, अनार का जूस, इलेक्ट्रोल, ओआरएस आदि का सेवन जरूर करते रहें। जांच व उपचार में किसी भी प्रकार की लापरवाही न करें। झोलछाप डॉक्टर से दूर रहें। घर व आसपास कहीं भी साफ पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार पानी को बदलते रहें।